पहाड़ो की सुंदरता हमेशा से हमे अपनी और खींचती रही है। ऊचे – ऊचे पहाड़, हरी भरी वाडिया , कल-कल करती नदियाँ और शांत वातावरण, ये सब मिलकर एक ऐसा सुकून देते हैं, जो शहरों की भीड़-भाड़ में मिलना मुश्किल है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से यह सुकून खतरे में है। विकास के नाम पर हो रहा अंधाधुंध निर्माण, सड़कों का जाल और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स, पहाड़ों के नाजुक इकोसिस्टम को चोट पहुँचा रहे हैं। सवाल यह है कि यह विकास है या विनाश?
विकास की दौड़ और बढ़ती चुनौतियाँ
- इसमें कोई शक नहीं कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों को बेहतर जीवन चाहिए। उन्हें भी अच्छी सड़कें, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा की जरूरत है। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स चला रही हैं। पहाड़ों को काटकर सड़कें बनाई जा रही हैं, सुरंग खोदी जा रही हैं और बड़े-बड़े बांध बनाए जा रहे हैं। इन सब से लोगों को सुविधा तो मिली है, लेकिन इसकी कीमत पहाड़ और वहाँ रहने वाले जीव-जंतु चुका रहे हैं।
- तेजी से हो रहे निर्माण से पहाड़ों की जमीन कमजोर हो रही है। पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। बारिश के मौसम में हमें अक्सर भूस्खलन और बाढ़ की खबरें सुनने को मिलती हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में तो यह एक आम बात हो गई है। इसका सीधा असर वहाँ के लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर पड़ रहा है।
पर्यटन का दबाव और प्रकृति का शोषण
- पहाड़ों में पर्यटन भी एक बड़ा उद्योग बन गया है। हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहाड़ों की ओर रुख करते हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े होटल, रिसॉर्ट्स और कॉलोनियाँ बन रही हैं। ये सभी निर्माण पहाड़ों के नाजुक पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं।
- पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ कूड़े-कचरे की समस्या भी बढ़ रही है। प्लास्टिक की बोतलें, चिप्स के पैकेट और बाकी कचरा पहाड़ों की सुंदरता को खराब कर रहा है। नदियों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे जलीय जीवों का जीवन खतरे में है।
संतुलन है जरूरी
- यह सच है कि हमें विकास चाहिए, लेकिन यह विकास ऐसा होना चाहिए जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चले। हमें ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुँचाएँ। उदाहरण के लिए, बड़े-बड़े और भारी वाहनों के बजाय हल्के वाहनों के लिए सड़कें बनाई जा सकती हैं। हमें ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहिए, जिसमें प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना पर्यटन को बढ़ावा दिया जाता है।
- इसके अलावा, हमें लोगों को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है। उन्हें यह समझाना होगा कि अगर हम पहाड़ों को बचाएंगे, तभी वे हमें बचा पाएँगे। सरकार, जनता और पर्यावरणविदों को मिलकर काम करना होगा ताकि पहाड़ों की सुंदरता और शांति बनी रहे।
विकास जरूरी है, लेकिन अगर यह विकास विनाश की कीमत पर हो तो इसका कोई फायदा नहीं। हमें पहाड़ों को सिर्फ एक पर्यटन स्थल या संसाधन का स्रोत नहीं मानना चाहिए, बल्कि उन्हें एक जीवित इकाई के रूप में देखना चाहिए। तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इस प्राकृतिक धरोहर को बचा पाएँगे।